Sunday 3 June 2018

विकास गुप्ता के कारण ही हुआ था बिग बॉस 11 का 'विकास'



बात उस समय की है जब मैं दफ्तर से दीपावली की छुट्टियों में राजस्थान स्थित अपने घर गया था। तकरीबन तीसरा सप्ताह बिग बॉस का चल रहा था तब मैंने ज्योति के बेघर होने के समय पहली बार विकास को देखा था। वहीँ से मुझे लगा कि इस प्रतियोगी में जरुर कुछ बात है इसलिए मैंने उस एपिसोड के बाद पूरे फिनाले तक एक भी एपिसोड नहीं छोड़ा।

बाकी घरवाले जहां चुगली, लड़ाई-झगड़े में व्यस्त होते थे तब विकास गुप्ता सबके साथ सादगी से पेश आते थे। यहां तक की शिल्पा शिंदे को उन्होंने हमेशा 'शिल्पा जी' से संबोधित किया। दर्शकों का दिल जीतने के पीछे विकास गुप्ता का सरल और सौम्य व्यवहार काफी हद तक जिम्मेदार माना जा सकता है अन्यथा उनके साथ कई ऐसे नाम भी शामिल थे जो टीवी पर पहली बार आने के बाद भी लोगों के दिल और दिमाग पर अमिट छाप नहीं छोड़ पाए। विकास के व्यवहार के कारण मुझ जैसे कई लोग ऐसे थे जिन्होंने बीच में सीजन 11 देखना शुरू किया और अंत तक एक्स्ट्रा डॉज और अनकट तक सब देख गए। जहां तक समर्थन की बात है उसमें अच्छी सोच और समझ वाले जितने भी लोग थे उनके मुंह से विकास गुप्ता का नाम ही सुनते देखा है। मेरे दफ्तर से सभी लोग विकास गुप्ता के फैन्स थे। दिल्ली में पीजी में रहने वाले लड़के और लड़कियां रात-रात भर जागकर वोटिंग के लिए एक शहर से दूसरे शहर तक लोगों को समझाने में लगे रहते थे। तो क्या नहीं कहा जाना चाहिए कि बिग बॉस 11 सीजन में विकास के सरल और सौम्य व्यवहार ने दर्शकों को इतने बेहतरीन तरीके से आकर्षित किया कि उन्होंने पहली बार बिग बॉस को इतने करीब से देखते हुए एक-एक अनकट दृश्य तक नहीं छोड़े।


आज के समय की सर्वाधिक लोकप्रिय शक्ति कोई है, तो वह वाकपटुता ही है। लोगों की फितरत में कटु वाणी का समावेश हमेशा रहता है और वही उसके पतन का कारण भी बनता है। अर्शी खान ने जिस तरह अपनी जुबान का इस्तेमाल किया और उसके बाद कम लोकप्रिय लोगों के सामने उनको घर से बेघर होना पड़ा यह किसी से छुपा नहीं है। विकास ने अपनी वाणी में माधुर्य का मिश्रण बनाए रखा और अर्शी को भी बारम्बार समझाने की कोशिश की लेकिन कहते हैं विनाशकालेन विपरीत बुद्धि, अर्थात् समय उल्टा हो तब बुद्धि भी विपरीत हो जाती है, इसलिए अर्शी खान कभी विकास की बात नहीं सुनती थी। दर्शकों ने बाहर से इन चीजों को देखा है, समझा है, इसलिए वे मास्टर माइंड के और करीब आए। दूसरे प्रतियोगियों में बातचीत के विषय ही व्यक्तिगत बातें, रिलेशनशिप स्टेट्स आदि रहते थे, इस दौरान उनकी चर्चा कहीं भी आती-जाती रहती थी इसलिए विकास भाषा शैली के दृष्टिकोण से सबसे अलग मालूम पड़ते थे। एक वजह यह भी हो सकती है क्योंकि वह कैमरे के पीछे रहे हैं तो सब जानते थे कि हर एक बात और हरकत पर दर्शकों की कैसी प्रतिक्रिया होगी।


एक सामाजिक प्राणी होने के कारण कोई भी व्यक्ति अपना जीवन अकेले व्यतीत नहीं कर सकता इसलिए हम मित्र बनाते हैं और जीवन का लुत्फ़ उठाते हैं लिहाजा विकास पर भी यह बात लागू होती है। बिग बॉस में रहते हुए उनके कई अच्छे मित्र बने जिनमें अर्शी प्रमुख रही। कुछ उनमें से बाहर आने के बाद भी मित्र हैं। ख़ास बात यह रही कि दोस्ती में किया गया वादा विकास ने हर हाल में पूरा कर दिखाया। उन्होंने कभी अपने दोस्तों की पीठ में छूरा नहीं घोंपा। जब विकास को पता चल गया था कि पुनीश उनके पीछे सिर्फ चुगली ही करता है तब भी उन्होंने यही कहा कि यह उसका गेम है लेकिन मैंने उसको दोस्त बोला है इसलिए मैं उसे कुछ नहीं कहूंगा। यह सब देखकर कहानी और रोचक हो जाती है। सभी प्रतियोगियों के फैन्स बाहर पुनीश को नापसंद करते थे जो आज भी बदस्तूर जारी है। विकास की दोस्ती और निभाए गए वादों से इस सीजन में चार चांद लग गए। घर के बाकी सदस्य भी यह मानते थे कि विकास वादा करके पीछे कभी नहीं हटेगा लेकिन उनको इस मास्टर माइंड की सफलता पर ईर्ष्या भी होती थी। यही कारण था कि अर्शी के जाने के बाद सभी घरवाले एक हो गए थे और मुकाबला विकास गुप्ता बनाम ऑल हो गया। अकेले रहकर भी उसी शिद्दत के साथ डटे रहने से बिग बॉस का अंतिम पड़ाव और अधिक रोचक हुआ और दर्शकों ने वोटिंग के समय उन्हें डेढ़ मिलियन से भी अधिक ट्वीट से ट्रेंड कराया, उनमें मैं भी एक रहा।


विकास ने हमेशा आकाश दादलानी से प्यार से बात करने की कोशिश की लेकिन स्वयं को विजेता मानने वाला आकाश सारे नियम कायदे ताक पर रखकर खुरापात के तरीके ढूंढता रहता था। रामायण में एक चौपाई है 'बोले राम सकोप तब, भय बिन होय न प्रीत' यानि किसी के अंदर जब तक भय नहीं होगा तब तक प्यार की भावना जागृत नहीं होगी। जेल में आकाश को भय दिखाकर विकास ने उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया। उन्होंने उसे हाथ से छूआ तक नहीं क्योंकि नियम और कायदे भी फॉलो करने जरुरी थे। उस दौरान उन्होंने दिखाया कि एक साधारण व्यक्ति की सहन शक्ति की ज्यादा परीक्षा लेना भी उचित नहीं है। उसके बाद आकाश दादलानी के व्यवहार में नरमी लगातार देखी गई थी। 


हर टास्क को अच्छी तरह निभाने के लिए विकास अपने मास्टर माइंड का उपयोग करते थे क्योंकि हमेशा उनके खिलाफ एक टीम खेलती थी। जरुरी होता है कि सामने वाली टीम की मानसिकता देखते हुए अपनी रणनीति बनाई जाए और उसी के तहत उन्होंने निरंतर टास्क जीतते हुए एक इतिहास रच दिया जो पहले 10 सीजन में कभी नहीं हुआ था। टास्क के दौरान वे विपक्षी टीम के खिलाफ हर योजना आजमाते थे लेकिन टास्क समाप्त होते ही वापस साधारण तरीके का वार्तालाप और मानवतावादी विचार उनके ह्रदय में लौट आते थे। दूसरी तरफ विपक्षी खेमा हमेशा टास्क के बाद भी उनसे व्यक्तिगत तौर पर खुन्नस निकालने के मौके देखता रहता था। 


जहां बाकी लोगों की सोच खत्म हो जाती थी वहां आता था मास्टर माइंड का चिंतन और मनन। चीजें होने के बाद या उससे पहले या घटित होने के दौरान विकास ने अपने दिमाग का बखूबी उपयोग किया और यही वजह थी कि कन्फेशन रूम में सीक्रेट टास्क में बिग बॉस ने खुद उन्हें मास्टर माइंड करार दिया। विकास का दिमाग इतना चलता था कि उन्होंने लव के जाने के बाद वोटों की ढेरी से घपले का अनुमान लगा लिया और पुर्नगणना के बाद झूठ का पर्दाफाश कर दर्शकों को अपना मुरीद बना लिया। 


आम तौर पर बेहद कम देखने को मिलता है कि कोई व्यक्ति पहली बार टीवी पर आने के बाद लाखों फैन्स कमाए। उनके सामने 10 और 15 साल टीवी इंडस्ट्री पर राज करने वाली हस्तियां थी लेकिन उनको कड़ी टक्कर देते हुए सिर्फ अपने साफ़ सुथरे और खेल भावना के अंतर्गत किये गए टास्क से दर्शकों को अपनी तरफ खींच लिया। यह विकास के खेल का ही जादू था कि उन्हें बिग बॉस के बाद आज भी सोशल मीडिया पर उतना ही प्यार मिल रहा है, यहां तक कि हर कोई उन्हें आज भी गिफ्ट भेज रहा है वरना इस सीजन में पहली बार टीवी पर आने वाले बहुत लोग थे लेकिन दर्शक उन सबको भूल चुके हैं। विकास के आगे उनकी चमक फीकी रही और वे कहीं नहीं टिके।

ऑनलाइन वोट अपील में विकास के कहे शब्दों से शुरू करें तो उन्होंने कहा था "मेरी दादी कहती थी कि कार्य आपके मन का हो तो अच्छा है और मन का नहीं हो, तो और भी अच्छा है क्योंकि वह चाहत ईश्वर की होती है और बहुत सही होती है।" विकास की यह पंक्तियां प्रभावशाली है क्योंकि उन्होंने कई बार कहा है कि मेरा बिग बॉस में आने का मन नहीं था लेकिन ये भगवान की चाह ही थी जो उन्हें इस तरफ खींच लाई और दर्शकों से असीमित प्यार दिलाया और अभी भी यह जारी है। क्रिकेट को भद्र पुरुषों का खेल कहा जाता है और उसमें खेल भावना सबसे अहम कड़ी मानी जाती है। बिग बॉस को सिद्धांतों का गेम कहा जाता है। बिग बॉस 11 में विकास ने खेल भावना तो दिखाई ही लेकिन इससे ज्यादा उनके सिद्धांत मजबूत नजर आए। विकास गुप्ता ने शुरू से लेकर अंत तक अपने पूर्वजों और माता-पिता से सीखे सिद्धांत नहीं छोड़े। कहते हैं सत्य और ईमानदारी की राह पर चलने वाले व्यक्ति सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं करते और यहां विकास ने इसे साकार रूप में प्रदर्शित किया। एक खेल पत्रकार होने के अलावा मैं एक बहुत बड़ा विकास फैन भी हूं और बिग बॉस ग्यारह में आने और खुद से रूबरू कराने के लिए मैं तमाम लॉस्ट सोल समूह की तरफ से विकास गुप्ता को नमन करता हूं। आपकी वजह से ही भारत के भिन्न-भिन्न शहरों के लोग ट्विटर और फेसबुक पर अच्छे मित्र बन गए हैं। आने वाले सभी प्रोजेक्ट्स में भी आप इसी तरह का कार्य करते हुए निरंतर 'विकास' करते रहें।



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